फिल्म:द साबरमती रिपोर्ट
- कलाकार : विक्रांत मैसी, ऋद्धि डोगरा, राशी खन्ना
- निर्देशक :धीरज सरना
साल 2002 में हुए गुजरात के गोधरा कांड के बारे में शायद ही कोई नहीं जानता होगा. अयोध्या से निकली साबरमती एक्सप्रेस की दो बोगियों में आग लगने से हुए हादसे में 59 मासूम लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस मामले की पड़ताल कम और इसपर राजनीति ज्यादा हुई. सच क्या था और क्या दिखाया गया, इससे पर्दा उठाने के लिए विक्रांत मैसी आए हैं अपनी फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' के साथ.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की शुरुआत साबरमती एक्सप्रेस में राम भक्तों के चढ़ने और फिर ट्रेन के जलने से होती है. इसके बाद हमें राज फिल्म का सबसे फेमस सीन दिखाया जाता है, जिसमें मालिनी का भूत बेहद सिडक्टिव अंदाज में डीनो मोरेया के किरदार आदित्य को बर्बाद करने की बात कर रहा है. इस स्क्रीन को प्रेस स्क्रीनिंग में दिखाया जाता है, जहां वीडियो जर्नलिस्ट के रूप में पहुंचा हिंदी मीडियम का पत्रकार समर कुमार (विक्रांत मैसी) मेकर्स से एक ओछा सवाल पूछ लेता है.
सीन को देखकर समर कुमार, राज फिल्म के मेकर्स से पूछता है कि पर्दे पर दिखने वाली लड़की तो भूतनी है, तो फिर वो 'लिपीस्टिक' क्यों लगाती है. ये सवाल सुनकर मेकर्स भड़क जाते हैं और इसी के साथ समर की गर्लफ्रेंड भी नाराज हो जाती है. समर इस स्क्रीनिंग पर मेकर्स के साथ फोटो खिंचवाने के लिए अपनी इंग्लिश मीडियम गर्लफ्रेंड श्लोका (बरखा सिंह) को साथ लाया था. उसके बिना-सिर पैर के सवाल ने उसकी बेइज्जती करवाई और उसकी गर्लफ्रेंड का फोटो खींचने का मौका भी छीन लिया.
इवेंट से निकलकर जाते हुए समर को ऑफिस से एक कॉल आती है. ये कॉल उसकी जिंदगी और दुनिया को देखने का नजरिया बदलने वाली है. समर को साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग की रिपोर्टिंग के लिए भेजा जाता है. उसके साथ जाती है इबीटी न्यूज चैनल की सीनियर जर्नलिस्ट मनिका राजपुरोहित (ऋद्धि डोगरा). यहां मनिका और समर साथ ग्राउंड जीरो पर पता लगाने की कोशिश करते हैं कि आखिर हादसा कैसे हुआ. उन्हें जो पता चलता है और मनिका जो रिपोर्टिंग करती है, उन दोनों बातों में जमीन-आसमान का फर्क है.
समर कुमार यहां अपनी रिपोर्टिंग करता है और फिर वीडियो की टेप ले जाकर ऑफिस में जमा करा देता है. लेकिन टीवी पर मनिका के कहे झूठ को ही दिखाया जाता है और समर की सच्चाई भरी आवाज को दबा दिया जाता है और उसे नौकरी से बेदखल कर दिया जाता है. नौकरी छोड़ चुका समर शराबी हो चुका है. लेकिन उसे 5 सालों के बाद दोबारा मौका मिलता है गोधरा में हुए कांड की सच्चाई को उजागर करने का. अब इबीटी की नई रिपोर्टर अमृता गिल (राशी खन्ना) के साथ मिलकर समर उस सच को बाहर लाएगा जो सालों से छुपा हुआ है.
फैक्ट्स से हुई छेड़छाड़
फिल्म में बेसिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है. जैसे- फिल्म में दिखाया गया है कि गोधरा में हुए ट्रेन हादसे के वक्त मुखयमंत्री एक महिला थीं. पूरा हादसा हो जाने के कुछ वक्त बाद गुजरात में मोदी सरकार बनी. फिल्म के डिस्क्लेमर में ये बात लिखी गई है कि फिल्म की कहानी सत्य घटनाओं से प्रेरित है और स्क्रीन पर इसका ड्रामेटिक वर्जन दिखाया गया है. शायद वहां इसी के बारे में बात की जा रही थी.
इस सबके बीच फिल्म को बैलेंस करने की भी पूरी कोशिश की गई है. लेकिन डायरेक्टर धीरज सरना इसमें बहुत ज्यादा सफल नहीं हुए. फिल्म में मुस्लिम समुदाय पर की गई टिप्पणियां और कुछ सीन्स काफी अजीब और हास्यास्पद हैं. इन सभी के बीच हिंदी बनाम अंग्रेजी पत्रकारिता की लड़ाई देखना काफी इरिटेटिंग है. बीच-बीच में आप समझ नहीं पाते कि फिल्म साबरमती एक्सप्रेस के हादसे के बारे में है या फिर हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता के बारे में. फिल्म आपको पत्रकारिता पर सवाल उठाने का मौका भी देती है. इबीटी न्यूज चैनल जिसमें चीजों को तोड़-मरोड़कर दिखाया जा रहा है, उसकी दीवारों पर विश्वसनीयता और बहादुरी जैसी बातें लिखी हैं.
परफॉरमेंस
विक्रांत मैसी कितने बढ़िया एक्टर हैं इस बात को उन्होंने पिछले कुछ सालों में अपनी अलग-अलग फिल्मों से साबित कर दिया है. फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' में भी उनका काम अच्छा है. लेकिन आपको उनके कैरेक्टर की लिखाई में खराबी भी साफ दिखाई देती है. इसी वजह से आप उसके ऊपर सवाल भी उठाते हैं. ऋद्धि डोगरा एक सीनियर और रूड जर्नलिस्ट के रोल में अच्छी हैं. राशी खन्ना ने भी अपने रोल को बखूबी निभाया है. इन तीनों के अलावा फिल्म के सपोर्टिंग एक्टर्स भी ठीक हैं. वहीं स्क्रीनप्ले और फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक की बात की जाए तो काफी बेकार है.
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